कैमिलो गोल्जी: (A Pioneer of Neuroscience) तंत्रिका विज्ञान के महान आविष्कारक
कैमिलो गोल्जी का जन्म 1843 में इटली के ब्रेस्चिया के पास स्थित छोटे से गाँव कॉर्टेनो में हुआ था। बचपन से ही वे विज्ञान और मानव शरीर के रहस्यों के प्रति जिज्ञासु थे। उनकी पढ़ाई का रुझान खासकर जीवविज्ञान और शरीर रचना विज्ञान की ओर था। यही रुचि उन्हें पाविया विश्वविद्यालय (University of Pavia) तक ले गई, जहाँ उन्होंने मेडिसिन की पढ़ाई की। 1865 में स्नातक होने के बाद उन्होंने पाविया के सेंट माटेओ अस्पताल में अपना कार्य शुरू किया। उस समय उनका अधिकांश शोध तंत्रिका तंत्र (Nervous System) पर केंद्रित था, जो आगे चलकर उनके जीवन का सबसे बड़ा क्षेत्र बन गया। सन 1872 में, गोल्जी को अब्बियातेग्रासो के "अस्पताल फॉर द क्रॉनिकली सिक" में मुख्य चिकित्सा अधिकारी नियुक्त किया गया। यह अस्पताल साधनों के मामले में बहुत सीमित था, लेकिन गोल्जी की लगन इतनी प्रबल थी कि उन्होंने एक छोटे से रसोईघर को प्रयोगशाला में बदल दिया। यहीं से उन्होंने अपने क्रांतिकारी शोध की शुरुआत की, जिसने न्यूरोसाइंस की दिशा ही बदल दी।
ब्लैक रिएक्शन क्या है?
उनकी सबसे महत्वपूर्ण खोज थी — "ब्लैक रिएक्शन" (Black Reaction) नामक तकनीक। इस विधि में चांदी के नाइट्रेट के हल्के घोल का इस्तेमाल करके तंत्रिका कोशिकाओं (Nerve Cells) और उनकी महीन संरचनाओं को रंगा जाता था। यह तकनीक बेहद अनोखी थी, क्योंकि इससे वैज्ञानिक पहली बार तंत्रिका कोशिकाओं की पूरी संरचना और उनकी शाखाओं को स्पष्ट रूप से देख पाए। इससे पहले ऐसा कोई तरीका मौजूद नहीं था। इस खोज ने तंत्रिका तंत्र के अध्ययन में एक नई क्रांति ला दी। गोल्जी ने जीवन भर इस तकनीक में सुधार करने और इसे और भी प्रभावी बनाने पर काम किया। उनका मानना था कि विज्ञान में हर खोज को लगातार बेहतर बनाया जाना चाहिए, ताकि मानवता को अधिक से अधिक लाभ मिल सके।
उनके योगदान को देखते हुए, उन्हें 1906 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्होंने प्रसिद्ध वैज्ञानिक सैंटियागो रमोन वाई काजाल के साथ साझा किया, जिन्होंने भी तंत्रिका तंत्र की संरचना पर महत्वपूर्ण शोध किया था। यह नोबेल पुरस्कार उनकी मेहनत, समर्पण और अद्भुत वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रमाण था।
📌 गोल्जी की प्रमुख उपलब्धियाँ
- ब्लैक रिएक्शन तकनीक का आविष्कार
- तंत्रिका तंत्र की संरचना को समझने में क्रांति
- 1906 में नोबेल पुरस्कार विजेता
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