अधिगम क्या है? (What is Learning?)
प्रत्येक व्यक्ति जन्म के समय केवल सीमित संख्या में अनुक्रिया की क्षमता रखता है। परन्तु जैसे-जैसे शिशु का विकास होता जाता है. वह अनेक प्रकार की अनुक्रियाएँ करने लगता है। वह अपने निकट के व्यक्तियों (माता-पिता, दादा, दादी इत्यादि), वस्तुओं (पानी, दूध इत्यादि) को पहचानना सीख लेता है। थोड़ा - थोड़ा और विकास होने पर दूसरे व्यक्तियों को देखकर उनकी नकल करके क्रियाओं को करने लगता है। अक्षरों को पहचानना, शब्दों और वाक्यों को बनाना, उन्हें लिखना सीखता है। घटनाओं, वस्तुओं की विशेषताओं को सीख कर उनका वर्गीकरण करना सीखता है। इसके अतिरिक्त पेशीय कौशलों (जैसे साइकिल, कार चलाना) तथा सामाजिक कौशलों (जैसे दूसरों से वार्तालाप करना, प्रभावशाली तरीके से अन्तःक्रिया करना) को भी सीखता है। अपने जीवन की विविध परिस्थितियों के साथ अनुकूलन करने के लिए व्यवहारों को सीखता है, जिससे जीवन सुखमय तथा खुशहाल बनें। इस पाठ में अधिगम को समझाया गया है। सबसे पहले अधिगम के अर्थ को स्पष्ट किया गया है। अधिगम कैसे करते हैं। अधिगम की मात्रा तथा गति को प्रभावित करने वाले कारकों को स्पष्ट किया है। अंत में अधिगम प्रक्रियाओं के ज्ञान का जीवन के विविध क्षेत्रों में व्यक्ति को सुखमय बनाने में उपयोगिता को समझाया गया है।
सीखने का अर्थ और प्रकृति
सीखना व्यक्ति के व्यवहार की एक प्रमुख प्रक्रिया है। अधिगम से तात्पर्य "व्यवहार या व्यवहार की क्षमता में तुलनात्मक रूप से स्थायी परिवर्तन है जो अनुभव अथवा अभ्यास के कारण होता है।"
इस परिभाषा से अधिगम के निम्नलिखित तथ्य स्पष्ट होते हैं:
सीखने की प्रक्रिया में व्यवहार में परिवर्तन अभ्यास अथवा अनुभव के कारण होता है।
सीखने में व्यवहार में परिवर्तन तुलनात्मक रूप से स्थायी होता है। यह इंगित करता है कि अधिगम में व्यवहार परिवर्तन लम्बे समय तक रहता है। दवा, थकान, बीमारी आदि के कारण होने वाला परिवर्तन सीखना नहीं है। उदाहरण के लिए थकान होने पर एक बालक बैठ जाता है, तो इस व्यवहार परिवर्तन को इसे सीखना नहीं कहेंगे।
परिवर्तन व्यवहार की क्षमता तथा बाह्य (overt) व्यवहार दोनों में हो सकते हैं। उदाहरण के लिए नक्शे का अध्ययन कर एक व्यक्ति अपने मित्र के घर का रास्ता नक्शे से सीख लेता है यद्यपि वह वहा वास्तविकता में नहीं जाता है। यहां इसे सीखना कहेंगे कि बालक ने मित्र के घर का रास्ता सीख लिया है।
प्राचीन / शास्त्रीय अनुबंधन (Classical conditioning )
इस प्रकार का सीखना सबसे पहले इवान पी. पावलव (Ivon P. Pavlov) ने प्रस्तावित किया। पावलब जो शरीर वैज्ञानिक (Physiologist) थे, ने पाचन प्रक्रिया के अध्ययन के दौरान पाया कि कुत्ते उन तश्तरियों को जिनमें उन्हें भोजन दिया जाता था, देखने पर भी लार स्त्रावित करना प्रारम्भ कर देते थे। इसी के आधार पर पावलव ने कुत्तों पर प्रयोग किए और प्राचीन अनुबंधन सिद्धांत दिया। प्राचीन अनुबंधन के अनुसार जब एक तटस्थ उद्दीपक (Neutral Stimulus) को स्वाभाविक उद्दीपक (Natural Stimulus) के साथ युग्मित कर प्रस्तुत किया जाता है तो कुछ प्रयासों के पश्चात प्राणी उस तटस्थ उद्दीपक के प्रति भी वैसी ही अनुक्रिया करने लगता है जो वह स्वाभाविक उद्दीपक के साथ करता है।
व्यवहार में परिवर्तन अनुभव या अभ्यास के कारण होता है। उदाहरण के लिए एक बालक किसी गर्म स्टोव को छूता है और उसका हाथ जल जाता है। इस अनुभव के बाद बालक पुनः उस स्टोव को नहीं छूता है। इस व्यवहार को अधिगम कहेंगे। इसी प्रकार बार-बार प्रयास करने पर बालक पंखा कहने पर पंखे की ओर इशारा करना सीखता है। नृत्य करना, साइकिल चलाना, किसी कविता को बार-बार दोहराना अभ्यास द्वारा सीखने का उदाहरण है। व्यवहार में कोई भी परिवर्तन जो अनुभव या अभ्यास के बिना होता है उसे अधिगम नहीं कहेंगे। वृद्धि, परिपक्वता, मादक पदार्थ या थकान से होने वाला व्यवहार परिवर्तन सीखना नहीं कहलाता है।
अधिगम एक अनुमानित प्रक्रिया है और निष्पादन से भिन्न है। निष्पादन व्यक्ति का बाहरी व्यवहार या क्रिया है। उदाहरण के लिए आप एक कविता बार-बार दोहरा कर सीखते हैं। अध्यापक के कहने पर आप उस कविता को सुना देते हैं। कविता का यह सुनाना निष्पादन कहलाएगा जिसके आधार पर अध्यापक यह अनुमान करता है कि आपने कविता सीख ली।
अधिगम के प्रतिमान (Paradigm of Learning):
अधिगम अनेक प्रकार से हो सकता है। मनोवैज्ञानिक कुछ विधियों को सरल अनुक्रियाओं के अर्जन में उपयोग लेते है तो अन्य विधियों को जटिल अनुक्रियाएं सीखने के काम लेते हैं। सबसे सरल प्रकार का सीखना, जो साहचर्य पर आधारित होता है, अनुबंधन (conditioning) कहलाता है।
मनोविज्ञान में दो प्रकार के अनुबंधन दिए गये है
- प्राचीन अनुबंधन (classical conditioning)
- क्रियात्मक अनुबंधन (operant conditioning)
इसके साथ ही प्रेक्षणात्मक अधिगम (observational learning),संज्ञानात्मक अधिगम (cognitive learning) तथा शाब्दिक/वाचिक अधिगम (Verbal learning), संप्रत्यय अधिगग (concept learning) तथा कौशल अधिगम (Skill learning) भी बताए गये है। यहाँ इनमें से कुछ का वर्णन दिया गया है।
Classical conditioning
इस प्रकार का सीखना सबसे पहले इवान पी. पावलव (Ivon P. Pavlov) ने प्रस्तावित किया। पावलब जो शरीर वैज्ञानिक (Physiologist) थे, ने पाचन प्रक्रिया के अध्ययन के दौरान पाया कि कुत्ते उन तश्तरियों को जिनमें उन्हें भोजन दिया जाता था, देखने पर भी लार स्त्रावित करना प्रारम्भ कर देते थे। इसी के आधार पर पावलव ने कुत्तों पर प्रयोग किए और प्राचीन अनुबंधन सिद्धांत दिया। प्राचीन अनुबंधन के अनुसार जब एक तटस्थ उद्दीपक (Neutral Stimulus) को स्वाभाविक उद्दीपक (Natural Stimulus) के साथ युग्मित कर प्रस्तुत किया जाता है तो कुछ प्रयासों के पश्चात प्राणी उस तटस्थ उद्दीपक के प्रति भी वैसी ही अनुक्रिया करने लगता है जो वह स्वाभाविक उद्दीपक के साथ करता है।
पावलव का प्रयोग: पावलव ने अपने प्रयोग के लिए एक कुत्तो को बाक्स में बांध कर रखा और उसे कुछ समय के लिए उसमें छोड़ दिया। साथ ही कुत्ते की लारग्रन्थियों से स्त्रावित होने वाले स्त्राव को एक ट्यूब के द्वारा एक मापनी ग्लास में लेने के आवश्यक उपाय किये। अब कुत्ते को उन्होंने भूखा रखा और घण्टी की आवाज के तुरंत बाद ही उसे भोजन दिया। कुत्ते को घंटी एक तटस्थ उद्दीपक है क्योंकि इसके प्रति कुत्ते का लार
स्त्रावित करना स्वाभाविक अनुक्रिया नहीं है. किन्तु भोजन एक स्वाभाविक उद्दीपक है जिसके प्रति कुत्ता लार स्त्रावित करता है। अगले कुछ दिनों तक इसी प्रकार घंटी की आवाज के बाद भोजन प्रस्तुत किया गया। ऐसे कुछ प्रयासों के बाद परीक्षण प्रयास में केवल घंटी बजाई गई किन्तु भोजन नहीं दिया गया। यह पाया गया कि कुत्ते ने घंटी की आवाज पर भी इस आशा में कि भोजन आएगा उसी तरह लार स्त्रावित की जिस प्रकार वह भोजन प्रस्तुत करने पर करता था। घंटी तथा भोजन के मध्य का यह साहचर्य अनुबंधन कहलाता है।
प्राचीन अनुबंधन के प्रमुख संप्रत्यय अनअनुबन्धित्त उद्दीपक (US) unconditional stimulus
पावलव के प्रयोग में भोजन अनअनुबंधित उद्दीपक है क्योंकि भोजन एक स्वाभाविक उद्दीपक है, जिसके लिए कुत्ता लार स्त्रावित करता है। अन्य शब्दों में अनअनुबन्धित उद्दीपक (US) बिना सीखा हुआ या स्वाभाविक उद्दीपक होता है जिसके लिए प्रतिवर्ती, अनैच्छिक अनुक्रिया होती है।
अनअनुबन्धित अनुक्रिया (UR) लार भोजन के लिए स्वाभाविक अनुक्रिया है। अतः पावलव के प्रयोग में यह अनअनुबंधित अनुक्रिया है। अनअनुबंधित उद्दीपक के प्रति होने वाली प्रतिवर्ती क्रिया अनअनुबंधित अनुक्रिया कहलाती है।
अनुबंधित उद्दीपक (Conditional Stimulus) जब एक तटस्थ उद्दीपक (NS) को किसी अनअनुबंधित उद्दीपक के साथ बार-बार युग्मित करने से वह समान प्रकार की प्रतिवर्ती अनुक्रिया उत्पन्न करने का कारण बनता है, तो इस तटस्थ उद्दीपक को अनुबन्धित उद्दीपक (CS) कहते है (अनुबंधित अर्थात सीखा हुआ)। पावलव के प्रयोग में घंटी जो एक तटस्थ उद्दीपक है (घंटी की आवाज पर लार स्त्रावित होना स्वाभाविक अनुक्रिया नहीं है) को बार-बार भोजन के साथ देने पर कुत्ता केवल घंटी की आवाज होने पर भी लार स्त्रावित करता है (जैसा वह भोजन को देने पर करता था)। इस तरह घंटी एक अनुबंधित उद्दीपक का उदाहरण होगा।
अनुबंधित अनुक्रिया (Conditional Response) अनुबंधित उद्दीपक के प्रति होने वाली सीखी गई प्रतिवर्ती अनुक्रिया को अनुबंधित अनुक्रिया कहते है। पावलव के प्रयोग में घंटी के प्रति होने वाली अनुक्रिया (लार) अनुबंधित अनुक्रिया का उदाहरण होगी।
दैनिक जीवन में प्राचीन अनुबंधन के अनेक घटनाएँ देखने को मिलती है। उदाहरण के लिए एक बालक किसी साइकिल के पास जाता है और उसका टायर तेज आवाज के साथ फट जाता है। बच्चा डर जाता है। यदि ऐसा पुनः कुछ बार होता है तो बालक साइकिल को देखते ही डरने लगता है। इसी तरह हॉस्टल में अथवा विद्यालय में खाने की घंटी की आवाज सुनने पर ऐसी आशा होने लगती है कि अब भोजन आने वाला है और मुंह में लार बनने लगती है। इन उदाहरणों में साइकिल तथा घंटी अनुबंधित उद्दीपक (CS) के उदाहरण है जिनके साथ क्रमशः डरना तथा लार स्त्रावित करने की अनुबंधित अनुक्रिया (CR) साहचर्य स्थापित होने के कारण होती है। इसी प्रकार बालक को यदि चिकित्सक सफेद कोट में इंजेक्शन लगाता है तो कुछ घटनाओं के बाद बालक किसी को भी सफेद कोट में देखते ही भय की अनुक्रिया करता है। इस प्रकार के अधिकांश अतार्किक भय (Phobia) प्राचीन अनुबंधन के कारण होते है।
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